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NIGHT WALKERS.

यक़ीन नहीं होता...

" य ss य ss ये क्या है... मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं होता है कि ऐसा भी कुछ हो सकता है, ह ss ह ss हम जब वहां पर पहुंचे थे तो वो बस्ती बिलकुल ख़ाली थी ... अ ss और अब वहां एक एक करके सभी घरों में रौशनी हो रही है... द ss देखा मुझे तो पहले से ही पता था कि ज़रूर दाल में कुछ काला है, मैंने ख़ुद घर के अन्दर किसी के मौजूद होने का ऐहसास किया था," मैडलीन ने कार्टर का इशारा पाकर उस ओर देखा तो उसकी आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गईं और उसने अपनी हैरत बयां करते हुए कार्टर से कहा। 

" तुम बिलकुल सही कह रही हो... मैंने भी एक घर में किसी की उपस्थिति का आभास किया है, अब मेरा शक यक़ीन में बदलता जा रहा है... उस बस्ती के हर घर में कोई न कोई मौजूद है, बस हमसे दूरी बनाने का प्रयास है," कार्टर ने मैडलीन की बातों को सुनकर उसका समर्थन करते हुए अपनी राय प्रकट की। 

" तो देर किस बात की है... हमें फ़ौरन पहाड़ी के उस हिस्से तक पहुंच जाना चाहिए... क्या कहते हो," मैडलीन ने कार्टर की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए पूछा।

" नहीं... नहीं, इस वक़्त ये उचित नहीं रहेगा... अगर इस वक़्त हम वहां पहुंचते हैं तो हो सकता है कि हमारी मौजूदगी पसन्द न की जाए... आज तो पहला दिन है जो अब रात में बदल चुका है... आज की रात बीतते ही कल उस बस्ती में फ़िर से प्रवेश किया जाएगा, आज की रात यहीं से नज़र रखते हैं ताकि हमें ये पता चल सके कि आख़िर उस बस्ती के लोग इतने अजीब क्यूं हैं," कार्टर ने मैडलीन की बातों को सुनकर अपनी राय प्रकट करते हुए सुझाव दिया। 

" शायद तुम सही हो... यही करना उचित रहेगा, वैसे भी हमारे पास खाने पीने का काफ़ी समान मौजूद है और दूसरी कोई ज़रूरत भी नहीं है , जो दोबारा उस बस्ती तक दौड़ लगाई जाए... वैसे चक्कर क्या है, कुछ समझ में नहीं आ रहा है," मैडलीन ने कार्टर की बातों को सुनकर अपनी सहमती जताई और फिर से आश्चर्य जताते हुए कहा। वे दोनों लगातार उसी दिशा की ओर एक आश्चर्यचकित दर्शक की तरह देखते हैं। उनका डर आश्चर्य का रुप लेकर उन पर हावी होने लगा... डर मनुष्य की एक मानसिक दशा का नाम है जो अभ्यास के द्वारा नियंत्रित भी किया जा सकता है तथा उसे एक सही दिशा भी दी जा सकती हैं... व्यक्ति के कार्य करने के लिए किसी तरह के संवेग या विचारों का होना जरुरी हैं, चाहे वह एच्छिक हो या अनैच्छिक।

" अब उस बस्ती में अागे क्या होता है, ये हम इसी पहाड़ी से बैठकर देखेंगे... यहां से किसी की नज़र हम पर नहीं पड़ेगी, क्यूंकि हमने आग नहीं जलाई है... तुम भी आराम से बैठकर इस नज़ारे का लुत्फ़ उठाओ , जिसने हमारे अन्दर एक अजीब सी सनसनी पैदा कर दी है... ऐसी कोई भी अजीबो गरीब घटना मेरे साथ पहले नहीं हुई, ये एहसास बिलकुल अनोखा है... देखते हैं कि आगे क्या होता है," कार्टर ने अपनी बातें जारी रखते हुए मैडलीन की ओर देख कर कहा। 

" हां... अब तो यही करना है, वैसे मुझे ये बात सताए जा रही है कि आख़िर हमने उन बस्ती वालों का क्या बिगाड़ा होगा, जो उन्होंने हमारी सहायता करना उचित नहीं समझा... यक़ीन नहीं होता है कि एेसे भी लोग हमारी दुनियां में मौजूद हैं, जो घायल और परेशान लोगों की मदद करना ज़रूरी नहीं समझते हैं," मैडलीन ने कार्टर की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए, अपनी राय प्रकट की। 

" यक़ीन तो करना ही पड़ेगा, क्यूंकि हमारे साथ जो घटित हो रहा है, वो कोई काल्पनिक घटना नहीं है, बल्कि एक वास्तविकता है... जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है, इसलिए यक़ीन तो करना ही पड़ेगा कि हमारे साथ गैरों जैसा सलूक किया गया है, उस सन्नाटे की बस्ती के लोगों द्वारा... हमें बस ये पता करना है कि दिन दहाड़े उस बस्ती में मौजूद सन्नाटे का राज़ क्या है, भला कौन अपनी बस्ती में मातम समान सन्नाटा चाहेगा," कार्टर ने मैडलीन की बातों को सुनकर अपनी राय प्रकट करते हुए सुझाव दिया। सन्नाटा जिसने कार्टर को ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि उस बस्ती के पीछे कुछ तो ऐसा राज़ है जो उनसे अछूता है। 

" चर्र ss र ss र ss र र र र र र," तभी अचानक घाटी में मौजूद मातम के सन्नाटे का सीना चीरते हुए , पुराने दरवाज़े के खुलने की चरमराहट चारों ओर गूंज उठती है... उस पहाड़ी इलाके में मौजूद ख़ामोशी के कारण, वो आवाज़ कार्टर तथा मैडलीन के कानों से भी टकराती है और उन दोनों का ध्यान सामने कुछ दूरी पर मौजूद उस वीरान बस्ती के एक घर पर जाता है। 

" शायद बस्ती के उस घर का दरवाजा खुलने वाला है... लगता है कि कोई उस घर से बाहर की ओर निकल कर आ रहा है, क्या तुम देख रहे हो," मैडलीन ने उस घर की ओर देखते हुए कार्टर से पूछा, जो उसी दिशा की ओर देख रहा था।

" हां... मैं भी उसी घर की ओर देख रहा हूं, देखते हैं कि अागे क्या होता है," कार्टर ने मैडलीन की बातों को सुनकर अपना उत्तर देते हुए कहा।

" मुझे तो बहुत डर लग रहा है... एक अजीब सी घबराहट हो रही है कि पता नहीं आगे क्या होने वाला है, उस विरान घर से कौन बाहर अाने वाला है," मैडलीन ने अपनी घबराहट प्रकट करते हुए कार्टर की ओर देख कर कहा। 

" अरे इसमें इतना घबराने की जरूरत नहीं है... हम उस अजीब बस्ती से काफ़ी दूर हैं, लेकिन ये बडे़ हैरत की बात है कि जिस घर में मैं सबसे पहले मदद मांगने पहुंचा था और मेरे हाथों निराशा लगी... उस घर में भी कोई रहता है,  जिसने मेरी मदद करना ज़रूरी नहीं समझा... अब दरवाजा पूरा खुलने दो, देखते हैं कि उस घर से कौन बाहर निकल कर अाता है," कार्टर ने मैडलीन की हिम्मत बंधाते हुए अपनी राय प्रकट की, उसकी वाणी से आश्चर्य के भाव साफ़ प्रकट होने लगे और उसके माथे पर उभरी चिन्ता की लकीरें भी यही दर्शाने लगीं।
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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1 Comments

Reena yadav

14-May-2024 11:42 PM

👍👍

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